आज हम जीवविज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न जो कि पाठ 4 के है ये प्रश्न exam में आने लायक प्रश्न है है जितने भी प्रश्न है पूरे प्रश्न ध्यान से पड़े और भी आगे प्रश चाहिए तो कंमेंट करे
1-अपयुग्मन या असंगजनन को परिभाषित
कीजिए।
उत्तर-बिना युग्मक संलयन के भ्रूण (अगुणित) के
निर्माण को असंगजनन कहते हैं।
2-बहुभ्रूणता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-बीज में एक से अधिक भ्रूणों की उपस्थिति
को बहुभ्रूणता कहते हैं।
3-अनिषेकबीजता (Agamospermy) को
परिभाषित कीजिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2019)
उत्तर–अर्द्धसूत्री विभाजन एवं युग्मक संलयन
(निषेचन) के बिना बने बीजों द्वारा प्रवर्धन को
अनिषेकबीजता कहते हैं।
4- अपस्थानिक भ्रूणता को अन्य किस नाम से
भी जाना जाता है?
उत्तर—बीजाणुद्भिद असंगजनन (sporophytic
apomixis)।
5-विकलर ने सत्य निषेचन को अन्य क्या
नाम दिया?
उत्तर—एम्फीमिक्सिस (Amphimixis)।
गुणित होता है?
6- पुनरावर्ती असंगजनन में भ्रूणकोष कितने
उत्तर—द्विगुणित (Diploid)
7- कोई एक उदाहरण बताइये जिनके बीजाण्ड
में एक से अधिक भ्रूणकोष पाये जाते हैं।
उत्तर-कैजुराइना मोन्टाना।
8-जनन अपबीजाणुता तथा कायिकअपबीजाणुता में विभेद कीजिये।
उत्तर-इन दोनों में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्धसूत्री
विभाजन न होने से द्विगुणित भ्रूणकोष बनता है।
यदि प्रप्रसूतक (Archesporium) की द्विगुणित
कोशिकाओं से भ्रूणकोष का विकास हो तथा इस द्विगुणित
भ्रूणकोष की कोशिकाओं से भ्रूण का विकास हो तो उसे
जनन
अपबीजाणुता कहते हैं।
यदि बीजाण्डकाय (Nucellus) या अध्यावरण
(Integument) की द्विगुणित कोशिकाओं से भ्रूणकोष का
विकास हो तथा इस द्विगुणित भ्रूणकोष की किसी कोशिका
से भ्रूण का विकास हो तो उसे कायिक अपबीजाणुता
कहते हैं।
9- सूक्ष्म प्रवर्धन का महत्त्व बताइये।
उत्तर-(i) इस विधि से प्राप्त पौधे मातृ पौधे के
समान गुणों वाले होते हैं।
(ii) इस विधि के द्वारा कम समय में व सीमित
स्थान में एक साथ असंख्य पादपों को विकसित किया जा
सकता है।
(iii) इस विधि द्वारा रोगमुक्त व आर्थिक रूप से
महत्त्वपूर्ण पादपों को उगाया जा सकता है। जैसे-ऑर्किड,
ग्लैडियोलस आदि
(iv) इस तकनीक पर बाह्य वातावरण का प्रभाव नहीं
पड़ता है। अतः किसी भी मौसम में पादप तैयार किए जा
सकते हैं।
(v) अनेक वन्य जातियाँ जो विलुप्ति के कगार पर हैं,
उनका भी संवर्धन इस विधि द्वारा किया जा सकता है।
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