जूडो खेल
जुडो खेल का प्राचीन इतिहास – प्राचीन समय मे जापान में उच्च वर्ग के व्यक्ति अखाड़ों में जाकर भिन्न-भिन्न प्रकार के दांव-पेंचों का अभ्यास करते थे। इसे 'जुजुप्सु' कहा जाता था। इसी जुजुप्सु का परिष्कृत रूप जूडो कहलाता है। जापान के एक प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री 'डॉ. जिगारोकानो' ने ही जूडो को आधुनिक रूप प्रदान किया। उन्होंने जुजुत्सु की विभिन्न कलाओं में सुधार करके जुड़ों को जन्म दिया।
प्राचीन काल में जुड़ों मूलतः आत्म रक्षा के तरीके के रूप में विकसित हुआ। इस खेल को आत्म रक्षा के उद्देश्य से सीखा जाता था। परन्तु वर्तमान में यह खेल आत्म रक्षा के साथ-साथ प्रमुख मनोरंजनात्मक खेल के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
⏩अन्य लोगों में जूडो को लोकप्रिय बनाने और इसकी उपयोगिता दर्शाने के लिए सन् 1880 में डॉ. जिगोरो कानो ने एक जूडो स्कूल की स्थापना की। इस विद्यालय के माध्यम से जूड़ो इतना लोकप्रिय हो गया कि वह सारे जापान में फैल गया।
⏩जापानी सरकार ने डॉ. जिगोरो कानो की जूडो शिक्षा को जापान में मान्यता प्रदान की। तभी से जूड़ो सम्पूर्ण विश्व में अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ। वर्तमान समय में, जापान की राजधानी टोकियों में 'कोडेकन' नाम का जूड़ो केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान कार्यरत है जो जूड़ो का प्रशिक्षण देता है।
⏩अन्य देशों की भांति भारत में भी यह खेल बहुत लोकप्रिय हुआ। भारत ने 1992 के ओलम्पिक खेलों में प्रथम बार अन्तर्राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिता में भाग लिया।
⏩ओलम्पिक खेल, राष्ट्रमण्डल खेल तथा एशियाई खेलों में भी इस खेल को शामिल कर दिया गया है।
जूडो का खेल (Game of Judo)
⏩खेल प्रारंभ होने से पहले दोनों खिलाड़ी एक दूसरे से कुछ दूरी पर खड़े होकर आपस में झुककर सलाम करते हैं। उनके बीच की दूरी लगभग 12 फुट होती है तथा वे एक-दूसरे की ओर मुँह करके खड़े होते हैं। एक-दूसरे को सलाम करने के पश्चात् रैफरी जोर से कहता है- 'हाजिमे' अर्थात् 'शुरू' करो और इसके साथ ही द्वन्द्व आरम्भ हो जाता है। मुकाबले के समय सीमा तीन मिनट से बीस मिनट तक की होती है। यह समय सीमा बढ़ाई भी जा सकती है बशर्ते कि दोनों खिलाड़ी सही सलामत हों। समय सीमा समाप्त होते ही रैफरी घंटी बजाकर खेल समाप्ति की घोषणा करता है ।
जूडो की पोशाक (Uniform of Judo)
जूडो के समय पहने जाने वाने वस्त्रों को 'जूडोगी' कहते हैं। जूडो की वर्दी में प्राय: तीन प्रकार के वस्त्र होते हैं- जैकेट, पायजामा तथा बैल्ट । जैकेट प्राय: ढीली ढाली होती है तथा सूती होती है जो शरीर के लिए आरामदेह रहती है। पायजामा भी ऐसा होता है जो ढीला होने के साथ-साथ लम्बाई में थोड़ा छोटा होता है ताकि खेल के दौरान अपने ही पैरों में न अड़ सके। बैल्ट भी इतनी लम्बी होती है कि जैकेट के ऊपर दो बार कमर पर लपेटने से पूरी हो सके। खेलते समय खिलाड़ी किसी प्रकार की अँगूठी, माला, हार, चश्मा इत्यादि पहन कर नहीं खेल सकता।
जूडो खेल के मापन एवम नियम
⏩जूड़ो अखाड़े का आकार वर्गाकार।
⏩जूड़ो अखाड़े की लम्बाई - 16x16 मी.
⏩जूड़ो अखाड़े में मुकाबले वाला क्षेत्र - 9x9 मी.
⏩जूड़ो अखाड़े में खतरे का क्षेत्र - 1 मी.
⏩मुकाबला प्रारम्भ करने से पहले दोनों प्रतिद्वंद्वियों में फासला -4miter
⏩जूड़ो में एक रेफरी तथा दो निर्णायक होते है।
⏩जूड़ो खेल की अवधि कम से कम 3 मिनट, ज्यादा से ज्यादा - 20 मिनट।
⏩रैफरी द्वारा 'हांतेई' शब्द की पुकार पर प्रतियोगियों एक-दूसरे के सामने खड़ा करके सफेद या लाल झंड़े विजेता का संकेत दिया जाता है इस खेल के शुरू में प्रतियोगी एक-दूसरे से 4 मी. की दूरी पर खड़े होते है रेफरी के 'हाजिमें' (Hajime) कहने पर लड़ना शुरू करते हैं।
जूड़ों में स्कोर करना - -
एक इप्पोन - एक अंक
दो वजा अरी - एक इप्पोन
इप्पोन निम्नलिखित हरकतों पर दिया जाता है -
1. 30 सैकण्ड तक कोई दांव कायम रखना।
2. विपक्षी को शक्तिशाली तरीके से फ़साना या पकड़ना
3. शक्ति के साथ विरोधी को फेंकना।
4. प्रतिद्वंद्वी को शक्तिशाली से कंधे की ऊंचाई तक उठाना अगर कोई प्रतियोगी उप्पोन से जरा सा चुक जाता है। तो उस वजा अरी दिया जाता है।
जुडो खेल की शब्दावली (Glossary)
⏩वाज़ाआरी, यूसेगाची, शिभेवाजा, नागेवाजा, काटामेवाजा, हाजिमें, मात्ते, हिकी वाके, योशी, शियाजो, जूडोगी, इप्पन |
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